Friday, December 12, 2008

पथिक पनिहारिन संवाद

रस्सी जल जाती है पर ऐठ नही जाती .....

गागर है भारी , पानी खींचने से हारी , तू अकेली पनिहारी बोल कौन ग्राम जायेगी ,
मैंने कहा ,थक कर चूर है तू ला मैं रसरी की करू घरी ,कुछ विराम तो तू पायेगी ,
बोली ,जब खींच चुकी सोलह घट जीवन के, आठ हाथ रसरी पै कैसे थक जायेगी ,
मैंने कहा रसरी की सोहबत मै पड़ चुकी तू,जल चाहे जायेगी, पर ऐठ नही जायेगी !

2 comments:

विपिन चौहान "मन" said...

रस्सी जल जाती हैं पर ऐठ नहीं जाती
वाह शिव सागर जी वाह
बहुत खूब
मुहावरे को जिस प्रकार से आप ने क्षंदबद्ध किया हैं ऐसा प्रयास बहुत ही कम देखने को मिलता हैं
आपसे पाठको को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं और आशा हैं की आप पाठको की उम्मीदों को जरूर पूरा करेंगे
आप से निवेदन हैं की यदि ऐसे कुछ मुहावरे आप और पढने को दे तो आनंद आ जाए
विपिन चौहान "मन"

Unknown said...

sir i felt it petty good .It is very useful in our student life. I wish you happy holidays.

PRAVEEN PADHY
CLASS-9 B