बेटियाँ ही हैं लक्ष्मी, शिवा, शारदा
बेटियाँ हैं तो हँसते हुए फूल हैं,
बेटियों से चमन रहता गुलज़ार है |
बेटियाँ हैं तो सावन के झूले भी हैं,
बेटियाँ हैं तो बागों में मल्हार है |
बेटियों से है आँगन में किलकारियाँ,
बेटियों से ही जीवंत संसार है |
बेटियाँ ही हैं लक्ष्मी, शिवा, शारदा,
बेटियों को भी जीने का अधिकार है |