रस्सी जल जाती है पर ऐठ नही जाती .....
गागर है भारी , पानी खींचने से हारी , तू अकेली पनिहारी बोल कौन ग्राम जायेगी ,
मैंने कहा ,थक कर चूर है तू ला मैं रसरी की करू घरी ,कुछ विराम तो तू पायेगी ,
बोली ,जब खींच चुकी सोलह घट जीवन के, आठ हाथ रसरी पै कैसे थक जायेगी ,
मैंने कहा रसरी की सोहबत मै पड़ चुकी तू,जल चाहे जायेगी, पर ऐठ नही जायेगी !